27 मार्च 2012
नई दिल्ली | नोएडा के चर्चित आरुषि हत्याकांड में सर्वोच्च न्यायालय ने आरुषि की मां नूपुर तलवार की याचिका पर सोमवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को नोटिस जारी किया। याचिका में उस आदेश पर पुनर्विचार की मांग की गई है जिसमें सीबीआई की विशेष अदालत ने जांच एजेंसी की क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार न करने और आरुषि के माता-पिता को आरोपी बनाने का आदेश दिया था। नूपुर तलवार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे के यह कहने पर कि सीबीआई की जांच में कई खामियां हैं, न्यायमूर्ति ए.के. पटनायक और जे.एस. खेहर की सर्वोच्च न्यायालय की खंडपीठ ने सीबीआई को नोटिस जारी किया।
साल्वे ने कहा कि पेश सबूतों से पता चलता है कि जांच में खामियां हैं। जांच एजेंसी ने कई दृश्यमान साक्ष्यों को नजरअंदाज किया है।
यह बताते हुए कि आरुषि के पिता राजेश तलवार का बार-बार नार्को टेस्ट और ब्रेन मैपिंग कराए जाने पर भी उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला, साल्वे ने कहा, "मां (नूपुर तलवार) पर आरोप लगाया गया है, जबकि उनके खिलाफ इस तरह का कोई सबूत नहीं है।"
उच्च न्यायालय के आदेश पर प्रहार करते हुए उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि घर में लगे खून के धब्बों की धुलाई करवाने में जल्दबाजी को लेकर दंतचिकत्सक दम्पति पर नाहक शक किया जा रहा है, जबकि पूरे घर की धुलाई उत्तर प्रदेश पुलिस ने अपने महकमे से आज्ञा मिलने के बाद करवाई थी।
ज्ञात हो कि सर्वोच्च न्यायालय ने छह जनवरी 2012 को तलवार दम्पति की वह याचिका खारिज कर दी थी जिसमें उन्होंने खुद को मुख्य आरोपी बताए जाने का विरोध किया था। न्यायालय ने इस दम्पति पर मुकदमा चलाने की अनुमति दी थी।
तलवार दम्पति ने सर्वोच्च न्यायालय में निचली अदालत के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें सीबीआई को उन्हें मुख्य आरोपी बनाने का आदेश दिया गया था।
ज्ञात हो कि दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) की आठवीं कक्षा की छात्रा आरुषि (14) का गला कटा शव 16 मई 2008 को उसके कमरे में पाया गया था। वह नोएडा के जलवायु विहार में स्थित एक अपार्टमेंट में अपने माता-पिता के साथ रहती थी।
पुलिस को पहले उनके घरेलू नौकर हेमराज पर शक हुआ था लेकिन अगले दिन उसका शव उसी फ्लैट की छत पर मिला था।
सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई की अगली तारीख 27 अप्रैल तय की है।
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